२०१७ के गुजरात के चुनावों के ठीक पहले “विकास गांडो थई गयो छे (विकास पगला गया है)” से खूब जोक्स चले थे. हर whatsapp ग्रुप में ऐसे मेसेजिस की भरमार थी. लोगो की क्रिएटिविटी भी सर चढ़ कर बोल रही थी. और लोगो ने हर विषय में इसी परिपेक्ष्य में खूब जोक्स बनाये और विभिन्न माध्यमो से शेर भी खूब किये. “विकास पगला गया है” का असर इतना हुआ की कही पर भी विकास शब्द सुनते ही लोगो के दिमाग में विविध जोक्स आने लगे. यहाँ तक की जिन जिन का नाम विकास था उनको भी यह जोक्स का मार जेलना पड़ा.
“विकास पगला गया है” महावारे का ओरिजिनल इन्वेन्टर तो आज तक किसी को पता नहीं चला लेकिन उसके पीछे का पूरा चित्र आपके समक्ष रखने का मेरा प्रयास रहेगा.
बात है जून २०१७ की. गुजरात में दिसम्बर २०१७ में चुनाव होने वाले थे. और भारतीय जनता पार्टी की यहाँ २५ साल से सरकार चल रही थी. कोंग्रेस का कहीं नामोनिशान नहीं था. दूर दूर तक कोंग्रेस की सत्ता हासिल करने की कोई उम्मीद नहीं थी. पिछले दो साल से कोंग्रेस के भाड़े के टट्टू अल्पेश ठाकोर और हार्दिक पटेल सरकार के सामने विविध तुच्छ विषयो में लोगो को भड़का कर आन्दोलन कर रहे थे. और किसी हद्द तक वो कुछ लोग को सरकार के विरुध्ध उकसाने में सफल भी रहे थे. हार्दिक का आन्दोलन पटेलो को भाजपा से दूर करने का था और अल्पेश का हेतु ठाकोर समाज को सरकार के विरुध्ध करने का.
इन हालातो में कुछ लोगो ऐसे भी थे जो अपने आप को इस आन्दोलन से जोड़ नहीं सकते थे क्यों की वह लोग भाजपा सरकार ने गुजरात में किये विकास कार्यो पर अपना भरोसा रखे हुए थे. वह लोग जानते थे की भाजपा ने बीते सालो में जो किया है वह अभूतपूर्व था. गुजरात ने भाजपा के राज में जितनी प्रगति की है उतनी कोंग्रेस के शाशन में नहीं की है. और दोबारा कोंग्रेस को लाना मतलब इस विकास की गति को न तो सिर्फ रोकना बल्कि अधोगति करने के बराबर होगा. ऐसे लोगो भाजपा के साथ जी जान से जुड़े हुए थे.
भाजपा का इलेक्शन का मूल मंत्र होने वाला था “विकास”. सरकार ने पिछले सालो किये हुए विकास को लेकर के पार्टी आने वाले चुनावो में जाने वाली थी. और पार्टी कार्यकर्ताओं को भी इसी लिहाज से तैयार किया गया था. सोसाइटी, गाँव और छोटी मोती सभा में विकास के कार्य को ही बता कर लोगों से वोट करने की अपील करनी थी. गुजरात दंगा मुक्त हो गया था. गुजरात के १८ साल से कम आयु के बच्चो ने कर्फ्यू शब्द को कभी महसूस नहीं किया था. इस लिए जातीवाद और कोमवाद जैसे कोई इशू इस चुनाव में चर्चा में आने वाले नहीं थे. चर्चा सिर्फ और सिर्फ विकास कार्यो पर ही होने वाली थी.
अब ऐसे में केम्ब्रिज एनालितिका जैसी कम्पनी का रोल चालू होता है. जिसे कोंग्रेस ने अपने प्रचार के लिए कम सोंपा है. ऐसी एजंसी जनमानस के साथ खिलवाड़ कर के उनको एक निश्चित विषय पर भर्मित कर के उनका अभिप्राय प्रभावित करती है. इसके लिए वह तरह तरह के हथियार प्रयोग करती है. इस हथियारों में अवार्ड वापसी, न्यूज़ पेपर आर्टिकल, TV शो की चर्चा, गाना, फिल्मे, स्टैंड-अप कोमेडी और जोक्स शामिल है. जैसे अब तक “गौ-रक्षक” शब्द को क्रिमिनल, “राष्ट्रवादियो” को “फंसिवादी” वैसे ही गुजरात में “विकास” शब्द को जोक से जोड़ दिया गया. और अलग अलग लोगो से कुछ जोक्स बना कर whatsapp में चलाना चालू किया. हमारे यहाँ तो यही चलन है की कोई एक व्यक्ति जो करेगा वही दूसरा भी करेगा. और फिर क्या था, लोगो ने अपने आप ही इसी तरह के जोक बनाना चालू कर दिया. और विकास शब्द को जोक बना दिया. भाजपा के कार्यक्रता भी इस रणनीति को समज नहीं पाए और कही कही पर ऐसे जोक्स को फॉरवर्ड कर के वह भी इसी षड़यंत्र का हिस्सा बन गए. भाजपा के कार्यकर्ता को चुनाव प्रचार में जाने से विकास शब्द पर हसीं का सामना करना पड़ता था, और उनकी १००% सही बात लोग हसी मजाक में लेने लगे थे. से यह केम्ब्रिज एनालितिका का विजय है.
भाजपा ने चुनाव के ठीक पहले एक गाना निकाला “हु छू विकास…. हु छू गुजरात” मतलब, में हु विकास, में हु गुजरात. यह गाना आते आते देर हो गयी और कोंग्रेस काफी हद्द तक सीट बटोरने में कामयाब हो गयी. यह है गुजरात के “विकास” की कहानी.
अब बात करते है “चोकीदार चोर है” की.
UPA-1 और UPA-2 के कार्यकाल में बहोत सरे घोटाले हुए. अन्ना हजारे का आन्दोलन और आम आदमी पार्टी का जन्म भी भ्रष्टाचार के सामने खड़े हुए आंदोलनों से हुआ. India Against Corruption और Youth Against Corruption जैसे स्वयंसेवी संगठन भी खड़े हुए और सब ने मिल कर के देश के अन्दर सरकार के द्वारा किये गए भ्रष्टाचार के सामने आवाज़ उठाई. उधर भाजपा ने नरेन्द्र मोदी को PM कैंडिडेट घोषित कर दिया था तो नरेन्द्र मोदी भी अपनी सभाओ में भ्रष्टाचार के विषय में सरकार को घेरते थे. नरेन्द्र मोदी की विकास पुरुष जैसी इमेज, गुजरात में उनके द्वारा किया गया विकास और UPA का भ्रष्टाचार २०१४ चुनाव का एजंडा बना था. और लोगो ने भर भर के भाजपा को वोट किया और NDA होने के बावजूद भाजपा को सिंगल लार्जेस्ट पार्टी के साथ बहुमत दिया.
पिछले ४-४.५ साल में मोदी सरकार पर भ्रष्टाचार का एक भी आरोप नहीं है. आतंक के खिलाफ सरकार की “जीरो टॉलरेंस” की निति की बदोलत कश्मीर को छोड़ कर एक भी जगह पर देश में आतंकी हमला नहीं हुआ है. मुद्रास्फीति (inflation) कंट्रोल में है. GDP भी बढ़ रहा है. मतलब तक़रीबन सारे अर्थशाष्ट्रीय मानकों पर सरकार सफल रही है. देश की सीमा सुरक्षित हुई है. यहाँ पर में उज्ज्वला योजना जैसी योजनाओं का उल्लेख नहीं करूँगा क्यूँ की में सरकार का प्रवक्ता नहीं हूँ. कुछ लोगो का तर्क है की इन योजनाओ को तो IAS बनाते और चलते है. खैर जो भी हो. देश सुरक्षित है, आर्थिक प्रगति के पथ पर है और केंद्र सरकार में घोटाले नहीं होते. यह सत्य है.
कोंग्रेस देश के इकोनॉमिकल विकास के डेटा, EVM और फोरेन एजंसी के रेटिंग्स को तो जूठा बता चुकी है. लेकिन सरकार के साडेचार साल में एक भी घफ्ला या घोटाला निकाल नहीं पाई है. तो ऐसे में चुनाव लड़ने के लिए कोंग्रेस के पास कोई भी मुद्दा नहीं बचा है.
अब यहाँ पर केम्ब्रिज एनालिटीका का रोल चालू होता है. भाजपा के आने वाले चुनाव का मुख्य मुद्दा होना था भ्रष्टाचार मुक्त सरकार. और सरकार में कोई घोटाला हुआ ही नहीं है. इसी लिए राफेल को मुद्दा बना कर आधी अधूरी जानकारी को चिल्ला चिल्ला कर बोलना यही स्ट्रेटेजिक मूव है जो कोंग्रेस के लिए केम्ब्रिज एनालिटीका ने तैयार की है. जैसे तैसे लोगो के दिमाग में यह डालना है की नरेन्द्र मोदी भी बाकि प्रधानमंत्री की तरह भ्रष्ट ही है. इसके लिए नारा दिया गया है “चोकीदार चोर है”
मंदबुद्धि राहुल गाँधी न तो राफेल सौदे के बारे में कुछ जानकारी रखते है और ना ही इस विषय में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को मानते है. वह बस चिल्लाते रहते है की चोकीदार चोर है. राफेल सौदा दो देश की सरकार के बिच में किया गया सौदा है न की सरकार ने किसी प्राइवेट कम्पनी के साथ किया हुआ सौदा है. लेकिन कोंग्रेस “भ्रष्टाचार मुक्त सरकार” के भाजपा के चुनावी सूत्र को अभी से तोड़ने के लिए “चोकीदार चोर है” नारा चिल्ला रही है. ताकि चुनाव के समय में जब भी भाजपा का कार्यकर्ता किसी के साथ बात करे की हमारी सरकार में भ्रष्टाचार हुआ ही नहीं है तो सामने वाला उसे राफेल याद दिला सके. चुनाव के डिबेट में भी भाजपा के प्रतिनिधिओ को इसी मुद्दे पे बोलते रोकने की strategy है. ताकि भाजपा सरकार का प्रवक्ता अपनी सरकार के बाकि काम भी ना बोल पाए.
“चोकीदार चोर है” का एक पहलु यह भी है की जब बोफोर्स का घोटाला हुआ तब भाजपा समेत सभी विपक्ष ने नारा दिया था की “गली गली में शोर है, राजीव गाँधी चोर है”. और इसी नारे से राजीव गाँधी की सरकार गयी थी. अब चोकीदार को चोर बोल कर कोंग्रेस (राहुल गाँधी अपने पिता का) अपना बदला ले रही है.
अब यह सब लोगों पर निर्भर करता है की उनको क्या देखना है और क्या समजना है. किस बात के ऊपर विश्वास करना है और किस बात पर नहीं करना है. गुजरात के लोगों को तो देर से समज में आया देखते है पुरे देश में क्या हाल होता है. आने वाला २०१९ का चुनाव सही मायने में देश के लिए या देश के विरुध्ध लड़ा गया चुनाव होगा जिसमे केम्ब्रिज एनालिटीका जैसी एजंसी का रोल देखने लायक होगा.