क्या जन गण मन से इस्लाम खतरेमे?

बिहार के MLA खुर्शीद अहमद ने जय श्री राम क्या कहा एक विवाद ने जन्म ले लिया। बात तो यहाँ तक आ गयी की एक फतवे से सारे मुस्लिमो को उनसे किसी भी तरह का सम्बन्ध ना रखने के लिए सूचित किया गया। आख़िरकार जब विधायक जी ने जब मौलवी के सामने “तौबा किया” (मांफी माँगा) तब जा कर ये विषय समाप्त हुआ। महाराष्ट्र के AIMIM के विधायक वारिस पठान ने बीजेपी के विधायको के साथ वन्दे मातरम नहीं बोलने पर मिडिया के सामने ही लम्बी बहेस कर डाली जिसने विधानसभा परिसर में उग्र स्वरुप धारण कर लिया।

यह सारी घटना अभी शांत भी नहीं हुई थी वहां उत्तर प्रदेश सरकार ने एक आदेश द्वारा प्रदेश के सभी मदरसों को १५ अगस्त को ध्वज वंदना के कार्यक्रम मदरसा में आयोजित करने और उनकी विडिओग्राफी करने के लिए सूचित किया‌‍‍‍। केंद्र सरकार ने एक नोटिफिकेशन के ज़रिये सभी राज्य सरकारों को निर्देशित किया की वे अपने राज्य में १५ अगस्त से १५ दिनों तक आज़ादी उत्सव मनाये।

देश की आज़ादी के उत्सव के लिए कोई आदेश हो सकता है? ये तो एक सहज प्रक्रिया होनी चाहिए ना? तो क्या भारत देश में लोगो पर राष्ट्रभक्ति थोपी जा रही है? क्या मोदी सरकार या योगी सरकार कोई हिंदूवादी एजंडे पर काम कर रही है? क्या भारत के मुसलमानों को अपनी राष्ट्रभक्ति साबित करनी पड़ेगी? क्या भारत का मुस्लमान डर-डर के जी रहा है? ऐसे कई प्रश्न अपने मानस में उठना स्वाभाविक है।

एक और जहाँ बंगाल की ममता सरकार ने केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन को न मानने के लिए सभी जिल्ला कलेक्टर को आदेश दिए। क्या बंगाल सरकार देश की आज़ादी के उत्सव में मानती नहीं है?

तो दूसरी तरफ, उ.प्र. सरकार के आदेश अनुसार तिन तरह की बाते सामने आयी.

  1. कुछ मदरसा में विधिवत तौर पर राष्ट्रपर्व का उत्सव मनाया गया
  2. कुछ मदरसा में ध्वज तो लगाया गया लेकिन राष्ट्र गान (जन गण मन) नहीं गया गया. (उसकी जगह पर सारे जहाँ से अच्छा गया गया)
  3. और बाकि के मदरसा में तो यह कार्यक्रम हुआ ही नहीं

प्रकार २ और ३ तरह के मदरसों के बारे में यह प्रश्न उठाना स्वाभाविक है की क्या १५ अगस्त और २६ जनवरी इन् दो दिनों में भी राष्ट्रगान नहीं गाना तो फिर कौन से दिन गाना है?  गाना है की गाना ही नहीं है? क्या राष्ट्रगान सभी नागरिको के लिए है या फिर सिर्फ उन्ही नागरिको के लिए है जिन्हें संविधान पे भरोसा है और जो भारतीय कानून को माने? 

उत्तर प्रदेश के मदरसा हो या बंगाल सरकार के आज़ादी के उत्सव को न मानाने के लिए दिया गया “फ़तवा” पुरे विषय को समजने के लिए थोड़े भूतकाल में जाने से समज में आएगा की आज़ादी के संग्राम में भी कुछ मुस्लिमो को वन्दे मातरम और भारत माता की जय बोलने पर आपति थी। इस बात के अनेक प्रमाण वर्ष १९६० से ले कर १९४७ तक हमारे विभिन्न स्वतंत्रता सेनानीओ द्वारा लिखे हुए पत्र और लेखो में मौजूद है।

गाँधी ने हिन्दू मुस्लिम एकता का मंत्र दिया, खिलाफत आन्दोलन में मुस्लिमो का साथ दिया। मुस्लिमो को आज़ादी के आन्दोलन में साथ में रखने के लिए मुस्लिमो की हर एक जिद्द का उस समय की कोंग्रेस ने स्वीकार किया। उनको यह आशा थी की उनकी एक-दो मांगे मान लेने से पूरा मुस्लिम समुदाय आज़ादी के आन्दोलन में सहयोगी बन कर अपना योगदान देगा। Appeasement की हद्द तो तब हो गयी जब आज़ाद देश के राष्ट्र ध्वज और राष्ट्र गान को भी बदल दिया गया। १५ अगस्त, १९४७ की सुबह के साथ पूरा देश आज़ादी के उत्सव में डूब गया और जो भी राष्ट्रगान दिया गया, जो भी राष्ट्र ध्वज दिया गया उसका स्वीकार कर के पूरा देश राष्ट्र की उन्नति के लिए कम करने में जुट गया। 

आज़ादी के बाद देश में ज़्यादातर कोंग्रेस का ही राज रहा। राज्य सरकारे और केंद्र की सरकार कोंग्रेस की ही रही। इन् सरकारों की निति और नियत में Appeasement देखने को मिला। इस Appeasement ने मुस्लिमो को राष्ट्र के मूल धारा में आने से हमेशा रोक कर रखा। बंगाल की वर्तमान सरकार बंगलादेशी मुस्लिम के वोट से जीत कर आयी हुई सरकार है, इस लिए बंगलादेशी मुस्लिम Appeasement उनका प्रमुख कार्य बन गया है।

ऐसा नहीं है की देश के मुस्लमान इस देश को अपना देश नहीं मानते। ज्यादातर मुस्लमान चाहते है की वह भारतीय बन कर रहे। यहाँ तक की कट्टरपंथी मुस्लमान भी इस देश को अपना देश मान रहा है. लेकिन अपना देश किस तरह मान रहे है यह भी समज़ना जरुरी है. उनका मानना है की इस देश को उनके परदादा (मुघलो) ने  जीत कर इस पर राज किया था। इस लिए इस देश पर राज करने का मूल अधिकार उनका है। वे यह भी मानते है की  इस समय देश पर काफिरों का राज है जिसे हटा कर इस्लाम का राज स्थापित करना है। अभी समय उचित नहीं है इस लिए उचित समय का इंतजार करना है और उस दिन तक अपनी ताकत बढ़ाते रहना है। ऐसे कट्टरपंथी मुसलमानों के हाथ में पुरे मुस्लिम समुदाय का संचालन है। जिसमे सामान्य मुस्लमान को अपने तरीके से सोचने की और अभिव्यक्ति की आज़ादी नहीं है।

क्या सर्व-धर्म-समभाव सिर्फ गैर-मुस्लिम लोगो के लिए ही है? एक बेचारे MLA के जय श्री राम बोलने पर फ़तवा जारी होता है!!! भारत माता की जय बोलने से क्या तकलीफ हो सकती है इस्लाम को? दीन खतरे में आ जायेगा? संभव ही नहीं है।

इस देश के सभी नागरिक का DNA भारतीय है। वन्दे मातरम या भारत माता की जय बोलने से अपने अन्दर उत्पन्न होती भावना से इस देश की मिटटी के साथ अपना जुडाव और भी गहरा बनता है। व्यक्ति के अन्दर इस देश को अपना मानने वाली चेतना का संचार होता है। लेकिन मुघलो को अपने पूर्वज मानने वाले इन् कट्टरपंथी मुसलमानों को इस भावना से तकलीफ हो सकती है। इस्सी लिए उनके कर्मो और भाषणों द्वारा वे भारत के मुस्लमान को भारतीय बनने से रोक कर रखे है।

तभी तो समाजवादी पार्टी का Ex-MLA यह निवेदन कर देता है की

हम मुस्लिम पहले है बाद में भारतीय। 

इस देश के मुसलमानों में APJ अब्दुल कलाम  भी है, अश्फाकउल्ला खान भी है जिन्होंने भारत को सर्वोपरि मान कर भारत माता की जय और वन्दे मातरम के साथ ही अपने आप को देश की सेवा में न्योछावर कर दिया। पुरे देश को उनपर गर्व है और देश हमेशा उनके योगदान को यद् करेगा।

ऐसे समय पर पुरे मुस्लिम समुदाय को एक बार सोचना चाहिए की भारत में जितने तरह के मुस्लमान शांति से रह सकते है उतने समुदाय क्या पाकिस्तान या और किसी मुस्लिम देश में रह सके है? भारत का मुस्लमान शांति और समृद्धि से जी सकता है उसका कारन यह है की उनके साथ हिन्दू रह रहे है। हिन्दू का १०,००० सालो का इतिहास है की हिन्दू ने कभी भी किसी भी संप्रदाय पर अपना आधिपत्य स्थापित करने के लिए आक्रमण नहीं किया।

अंत में इतना की यह “तिरंगा” और “जन गण मन” का स्वीकार तो मुस्लिम समुदाय के साथ विमर्श कर के ही हुआ है तो इस विषय पर विवाद कैसा? देश आज़ाद हुआ इस बात का उत्सव मानाने में प्रश्न क्या हो सकता है? विषय मूलतः बस इतना है की इस देश के मुसलमानों को कट्टरपंथी मुसलमानों द्वारा भारतीय होने से रोका जा रहा है। उनको बस इस बात से डर है की अगर भारत का मुस्लमान भारत के करीब आ गया तो फिर भारत को इस्लामिक स्टेट नहीं बनाया जा सकता। चुस्त-अनुशासन कहो की फतवे का डर, बाकि का मुस्लिम समुदाय ऐसे कट्टरपंथी मुसलमानों के हाथो की कठपुतली बन रहा है और मुख्या धारा से दूर होता जा रहा है जिसका संज्ञान पुरे समाज को लेना चाहिए।

वन्दे मातरम, भारत माता की जय…!

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