…अब CJI का महाभियोग: “वोट-बेंक” को एक क्लियर मेसेज

कल जज लोया की मौत के मामले में करारी शिकस्त और कोर्ट से तीखी टिपण्णी खाने के बाद आज कोंग्रेस समेत ७ पार्टियो के ७१ सांसदों ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पेश किया। कोंग्रेस और अन्य दलों के करीबन ७० से ज्यादा सांसदों ने इस प्रस्ताव पे अपने दस्तखत किये।

अब समजना ज़रूरी है की इस महाभियोग प्रस्ताव लाने की वजह क्या रही होगी। मिडिया, कोंग्रेस और बीजेपी आपको अपना अपना नजरिया पेश करेंगे लेकिन असलियत में इसकी वजह २०१९ के चुनाव में पॉकेट वोटो से अपनी जित पक्की करना है

हम मने या ना माने विपक्ष और भाजपा दोनों ने २०१९ चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी है। किसी भी एंगल से कोई भी समजदार आदमी बता देगा की महाभियोग का प्रस्ताव से कोंग्रेस अपने पैर पे हथोडा मार रही है। लेकिन असलियत में ये अपने पैर पे हथोडा नहीं है। यह एक सोची समजी रणनीति है जो कोंग्रेस सालो से खेलती आयी है।

अब ज़रा पिछले १०-१५ दिनों में हुई कुछ खास घटना पे नज़र डालते है। हुआ क्या?

एक के बाद एक कोर्ट के फ़सलो की वजह से कोंग्रेस ने पेश की हुई “हिन्दू टेरर” या “सेफ्रोंन टेरर” की थियरी फेल हुई फिर चाहे वो मक्का मस्जिद ब्लास्ट केस हो, समजौत एक्सप्रेस ब्लास्ट केस हो या फिर कर्नल श्रीकांत पुरोहित का मामला हो। इस से समाज में कोंग्रेस के प्रति घृणा का भाव उत्पन हुआ है।

कोंग्रेस का चहेरा पूरी तरह बेनकाब हुआ है इसमें दो राय नहीं है। भाजपा इस अवसर को गवाए बिना कोंग्रेस को हिन्दू विरोधी साबित करने में जुट गयी और इस से मंदिर मंदिर जा कर के राहुल गाँधी ने जो “जनेऊ धारी हिन्दू” दिखने का अभियान हाथ लिया था उसे बड़ी चोट लग गयी है। अब कोंग्रेस के किये सारे षड्यंत्र को भाजपा बुमरेंग बना कर कोंग्रेस के पीछे छोड़ रही है। और कोंग्रेस इसमें बड़ी फसी दिख रही है।

सालो से मुस्लिम कोंग्रेस की वोट बेंक बन कर रहे है। मेरे मुस्लिम दोस्त तो मुझे यहाँ तक कहते है की भले चाहे कोंग्रेस सत्ता में आने की रेस में दूर दूर तक नहीं है फिर भी मुस्मिल कोंग्रेस को ही वोट देंगे। अब हुआ यह है की मोदी सरकार के कई ऐसे फैसले, कई ऐसी योजनाये और ट्रिपल तलाक वाले विषय में मोदी सरकार का सुप्रीम कोर्ट में स्टेंड, इस सारे विषय में मुस्मिल महिलाओ को सीधे तौर पे फायदा हुआ है। और यूपी के चुनाव में इसका सीधा सीधा फायदा भाजपा को मिला भी है।

कोंग्रेस ने इस हालात को समजते हुए अपनी पुरानी वोट बेंक को अपने साथ बनाये रखने के लिए पिछले दिनों हुए सारे मामलो को भाजपा, और कही न कही हिन्दू के विरोध में चला दिया। असीफा रेप केस हो या फिर स्वामी असीमानंद/माया कोडनानी का रिहा होना। कोंग्रेस (या कोंग्रेस के हितैशीओ) ने हर चीज़ को ऐसे पेश किया जैसे यह मुस्लिम समुदाय के ऊपर एक खतरा हो और मुस्लिम समाज को भय अनुभव हो। यह गलत है। लेकिन राजनीती में अब सही गलत कौन समजता है? आखिर कार केम्ब्रिज एनालिटिका भी तो कोंग्रेस को जिताने के लिए अपना काम करेगी ना!

अब समजना जरुरी है की जब भी कभी कोई रेप होता है तो लोगो की भावनाए आहात होती है। कोर्ट के फैसले के वक़्त जो ज्यादा से ज्यादा सजा की उम्मीद करते है और फेसला उनके खिलाफ आता है तब जो पक्ष हारा है उसे बहोत दुःख होता है। अब यहाँ रेप जैसे अपराध पे भी अपनी राजनैतिक रोटियाँ शेकने के लिए कोंग्रेस इसी दुःख को अपना हथियार बना कर मुस्लिम वोटरों को भाजपा से दूर करना चाहती है और कही न कही पाकिस्तान के एजंडा को समर्थन कर रही है।

मुस्लिमो का वोट बटोरने के लिए किये गए एक के बाद एक केस (साजिश) में हारने के बाद अब कोंग्रेस को मुस्लिम वोटरों को कोई न कोई तो मुद्दा देना था जिससे वो मुस्लिम को यह बता सके के भाजपा उनके लिए ज़रा भी अच्छा नहीं है और कोंग्रेस के आलावा उनका कोई साथी नहीं है। इसकी एक और वजह भी है, ओवेसी की पार्टी धीरे धीरे पुरे देश में अपने पैर जमा रही है जिसका सीधा सीधा नुकसान कोंग्रेस को होने वाला है। अब अगर मुस्लिम भाजपा से दूर गए तो AIMIM के पास भी तो जा सकते है। एक बार अगर AIMIM में मुस्लिम को अपना हित दिख गया तो फिर कोंग्रेस अगले 100 साल तक कभी भी सत्ता में नहीं आ पायेगी यह तय है।

अब याद करते है की सुप्रीम कोर्ट के ४ सीनियर जजों ने CJI के खिलाफ एक प्रेस कोंफेरेंस की थी। आज वह सारे जज कोंग्रेस के साथ खड़े हुए दिखे जिससे यह सिद्ध हो जाता है की इन चार जजों को मोहरा बना कर कोंग्रेस अपनी राजनीती कर रही थी। यह चारो जजों के कोंग्रेस के साथ आने से यह तो सर्टिफाइ हो गया आज।

वरिश्ठ कोंग्रेस लीडर कपिल सिब्बल पहले ही सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर केस की सुनवाई जून २०१९, यानी चुनाव के बाद तक, रोकने के लिए अर्जी दे चुके है। क्यों की कही न कही कोंग्रेस समजती है की अगर कोर्ट के माध्यम से राम मंदिर के हित में फेसला आ गया तो फिर राम मंदिर का रास्ता साफ़ होगा और सालों के भाजपा के चुनावी घोषणापत्र का एक वादा सीधे सीधे पूरा होगा। ऐसे में मुस्लिम समुदाय को अपनी तरफ करने के लिए कोंग्रेस अभी से न्याय व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रही है जिस से कोंग्रेस की केल्क्युलेशन के हिसाब से फैसला नहीं आने की सूरत में वह मुस्लिम समुदाय को यह समजा सके की भाजपा और मोदी ने पुरे न्यायतंत्र को अपने काबू में कर लिया है और यह फेसला उसी का प्रमाण है। और इसी विषय को आगे बढ़ा कर २०२४ का चुनाव लड़ा जायेगा

मामला कोर्ट की अवहेलना का ही नहीं है। मामला सोची समजी राजनीती है। कोंग्रेस बस मुस्लिम लोगो की भावनाओ से खिलवाड़ कर रही है यह समजना ज़रूरी है। में उम्मीद करता हूँ की भारत का प्रत्येक मुस्लिम इस षड्यंत्र को समजे और कोंग्रेस के हाथो अपना दुरुपयोग होते हुए बचे।

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