इसमें कोई दोराय नही है कि बाहुबली और बाहुबली 2 हिंदी सिनेमा की सबसे कामियाब फ़िल्म है। बाहुबली ने हिंदी फिल्म में मायथोलॉजीकल फ़िल्म के नए अध्याय की शुरुआत की है। बाहुबली की बदौलत भारतीयों को पर्दे पर हिन्दू राजा के वैभव और शौर्य की एक अनोखी कहानी देखने को मिली।
हालांकि बाहुबली फ़िल्म में कही पर भी फ़िल्म के कथाकाल का स्पस्टीकरण नही किया गया है लेकिन फ़िल्म देखने के बाद हर भारतीय को लगा होगा कि यह एक पौराणिक समय की गाथा है। इस फ़िल्म के कथाकाल के बारे में सबसे सटीक अनुमान और उसके प्रमाण भी आपके सामने प्रस्तुत है।
बाहुबली 2 फ़िल्म की कहानी के अनुसार बाहुबली की माँ महारानी शिवगामिनी बाहुबली को कट्टप्पा के साथ राज्याभिषेक से ठीक पहले राज्य देखने को भेजती है। बाहुबलि और कट्टप्पा चलते चलते कुंतल राज्य पहूंचते है। कुंतल राज्य के द्वार पर एक मार्किट का सीन है। जहाँ से बाहुबली और कट्टप्पा गुज़र रहे है। हम में से बहोतकम लोगो ने शायद इस सिन को अछे से देखा होगा या फिर सिनेमा में ये सिन कट भी हो गया होगा। इस सिन में मार्किट लगा हुआ है और लोग कुछ चीज़े खरीद रहे दिखाई दे रहे है। पीछे वैभवशाली महल और उसका द्वार भी दिखाई देता है।
इस सिन के बाद का यह सिन बाहुबली की कहानी के काल के अनुमान का सटीक आकलन करवा देगा।
इस सिन में खरीदारी कर करे महिला और पुरुष मुस्लिम है तथा दुकानदार भी मुस्लिम ही है।
बाहुबली फिल्म देख कर ऐसा आभास होता है की यह पौराणिक समय की फिल्म होगी। अब इस सिन को फिल्म के परिपेक्ष्य में देखा जाये तो बाहुबली अपने राज्य महिस्मती से 7.5 योजन (110 km) उत्तर की और जाते है जहाँ मार्किट पूरा मुस्लिम लोगो से भरा हुआ है।
अब तथ्यों के आधार पर हम कह सकते है की इस्लाम का उदय 610 A.D. में हुआ। अर्थात् ये फिल्म का काल पौराणिक तो नहीं हो सकता। अब दूसरी बात बाहुबली भारत के ही किसी राज्य में जा रहे है। तो भारत में इस्लाम का आगमन 1200 A.D. के आस पास हुआ।
तो इस आधार पर हम कह सकते है की बाहुबली की कहानी बारहवीं से तेरहवीं शताब्दी के बिच की हो सकती है।